महिलाओं को हाई हील्स पहनने पर हो सकता है ऑस्टियोपोरोसिस रोग (Osteoporosis) |



आज के फैशन के दौर में महिलाएं अपने आप को सुन्दर दिखाने के लिए नए नए तरीके अपना रही हैं | कई बार उनके इस फैशन के कारण ही उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है | इसी तरह महिलाएं आजकल हाई हील्स का प्रयोग बहुत ज्यादा करती है | हालाँकि इससे उनकी सुन्दरता में तो चार चाँद लग जाते है लेकिन उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस रोग (Osteoporosis) का सामना भी करना पड़ता है |

high heels

हील्स की ऊंचाई जितनी ज्यादा होती है उतना ही ज्यादा दबाव पैर पर पड़ने लगता है | अगर महिलाएं तीन इंच ऊँची हाई हील्स पहनती है तो लगभग 80 फीसदी दबाव पैर पर पड़ने लगता है | इसी वजह से जॉइंट्स इंजरी और घुटने के ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ने लगती है | आज हम आपको इस विषय से सम्बंधित कुछ विशेष जानकारी देने जा रहे है जो आपके सामने इस प्रकार से है :

ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) क्या है :

यह एक ऐसा रोग है जो व्यक्ति की हड्डियों को धीरे धीरे कमजोर बनाता है तथा इसके कारण हड्डियों का मास कम होने लगता है | इससे हड्डियों के उत्तक फटकर कमजोर होने लगते है | इन सभी के कारण हड्डियों में फ़्रैक्चर होने की संभावना बढ़ने लगती है | इस रोग के होने की संभावना सबसे ज्यादा उम्रदराज महिलाओं में हो सकती है |

हालाँकि ये रोग वैसे तो बहुत पहले हो जाता है लेकिन इसके लक्षण बाद में दिखने लगते है जिसके कारण परेशानी भी बहुत देर बाद समझ आती है | इस समस्या से बचने के लिए आप कुछ उपायों को प्रयोग में ला सकते है जिसके लिए सबसे पहले आपको अपने आहार को संतुलित करना होगा | आपको नियमित रूप से अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर तत्वों का सेवन करना चाहिए |

रोग के लक्षण :

जब इस रोग की आशंका होती है तो रोगी को शुरुआत में हल्का हल्का दर्द होने लगता है | यह दर्द गर्दन और मांसपेशियों में ज्यादा रहता है | रोग से प्रभावित हिस्सों में थोड़ा सा दबाव पड़ने पर बहुत तेज दर्द होने लगता है | इस दर्द से आपको लगातार परेशानी रहती है और यह हफ्तों से लेकर महीनो तक चलता है |

इस दर्द से बचने के लिए आपको सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लेकर तुरंत उपचार शुरू कर देना चाहिए साथ ही आप इसके उपचार के लिए कुछ घरेलू उपाय भी कर सकती है |

इस रोग के प्रभाव से बचने के लिए आपको कुछ बातों के प्रति सावधानी रखने की जरूरत होती है जो इस प्रकार है :

सावधानियां :

उम्रदराज रोगियों को जिन्हें आर्थराइटिस की समस्या हो उन्हें सामान्य पैड वाले जूते पहनने चाहिए तथा उन्हें ऐसी जगह चलना चाहिए जो समतल और ज्यादा चिकनी ना हो |

जिन मरीजों को एड़ियों में ज्यादा दर्द रहता है उन्हें अन्दर से कुशल हील पैड वाले जूतों का प्रयोग करके लाभ लेना चाहिए |

मधुमेह से पीड़ित रोगियों को सिलिकॉन के सोल से बने जूतों का प्रयोग करना चाहिए |

पैरों या अंगूठे में घाव होने की स्थिति में आपको उँगलियों की बनावट ठीक करने में परेशानी होने लगती है इसके लिए आपको एक्स्ट्रा पैड वाले जूतों का प्रयोग करके फायदा लेना चाहिए|

आर्थराइटिस से ग्रस्त व्यक्तियों को सुबह वाल्किंग करनी चाहिए | यह उनके लिए एक अच्छा व्यायाम हो सकता है | क्योंकि ऐसे लोगो को खड़ा होने के लिए सहारे के रूप से या चलने के लिए बैसाखी की जरूरत होती है |

आपको जिस घुटने में दर्द होता है आपको कोई डंडा या बैसाखी उसके उलटे हाथ में पकड़नी होती है | जब आप पैदल चलते है तो इससे एड़ी में गीत होने के कारण नाड़ी संबंधी घुमाव पर प्रभाव पड़ने लगता है |  इससे हड्डियों व मांसपेशियों पर दबाव पड़ने के कारण इसकी मजबूती और गुणवत्ता में वृद्धि होने लगती है |

इस तरह से मांसपेशियों पर उचित दाब पड़ने से वे चलने लगती है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस रोग भी धीर धीरे दूर हो जाता है |

महिलाएं बढ़ते फैशन के दौर में अनेको नई चीजों का प्रयोग करने के साथ साथ अपने स्वास्थ्य को लेकर कई बातों को नजरंदाज कर देती है जिसके परिणाम उनको बाद में भुगतने पड़ते है | फिर भी ऐसी किसी समस्या के लिए आप ऊपर दिए गए उपायों और सावधानियों को ध्यान में रखकर मदद ले सकते है तथा अपनी समस्या को दूर करने में सफल हो सकते है |








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