किसी
भी मनुष्य के शरीरिक और यौनपरक लक्षणों में बदलाव होने पर इन्हें जवानी आने के
लक्षण समझा जाता है | लड़कियों के शरीर में भी हारमोंस के बदलाव के कारण उनमे
प्रजनन की क्षमता आती है | वैसे तो हर लड़की में जवानी शुरू होने का अलग अलग समय
होता है लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा होना उन्हें खानपान और जीवनशैली के कारण भी
होता है | सामान्य रूप से लड़कियों में दस साल से 13 साल की उम्र तक जवानी शुरू
होने के लक्षण देखे जा सकते है |
आज
हम आपको लड़कियों में जवानी आने के लक्षणों के बारे में बताएँगे जो आपके सामने इस
प्रकार से है :
लड़कियों
में जवानी आने के लक्षण :
आमतौर
पर यौवनारंभ होने पर लड़कियों के शरीर में बदलाव होने लगता है जैसे उनके शरीर की
लम्बाई बढ़ना या उनके नितम्बों का साइज बढ़ जाना आदि | इसके अलावा उनकी बगल और योनी
के आसपास बाल उगने लगते है | पहले ये बाल मुलायम होते है लेकिन धीरे धीरे इनमे
कड़ापन आने लगता है |
लड़कियों
में जवानी आने के बाद उनके पीरियड्स शुरू हो जाते है तथा यह समस्या हर महीने होने
लगती है | पीरियड्स की समस्या तीन से पांच दिन तक होती है तथा यह समस्या जन्नतंत्र
पर हारमोंस के प्रभाव के कारण होती है |
लड़कियों
में पीरियड्स कैसे शुरू होते है :
सामान्य
अवस्था में लगभग 10 से 15 वर्ष की उम्र की लड़कियों में नियमित रूप से हर महीने
अंडकोष में अंडा बनने लगता है | फलैपियन ट्यूब के गर्भाशय से जुड़ने के कारण यह
अंडा गर्भाशय में पहुँच जाता है और इसके साथ खून का स्तर और तरल मिलकर गाढ़ी अवस्था
धारण कर लेते है | विकसित होने के बाद इसमें प्रजनन की क्षमता आने लगती है | यदि
इस दौरान किसी पुरुष का वीर्य अंडे से मिल जाए या इसके सम्पर्क में आ जाये तो गर्भ
ठहर जाने की संभावना बन सकती है | अगर किसी पुरुष का वीर्य अन्दर प्रवेश नहीं कर
पाता है तो इसमें से तरल बहकर योनी से बाहर आने लगता है |
लड़कियों
में सामान्य अवस्था में होने पर पीरियड्स चक्र लगभग 28 से 32 दिनों में एक बार
होता है और यह तीन से पांच दिनों तक रहता है | शुरूआती अवस्था में इसकी अवधि सात
दिनों तक भो हो सकती है |
स्तनों
का आकार बढ़ना :
जवानी
शुरू होने के बाद लड़कियों के स्तनों का विकास तेजी से होने लगता है | लड़कियों में इस्ट्रोजन
नामक हारमोन के स्तर में अधिक वृद्धि होने के कारण ऐसा होता है | इस हार्मोन के
स्तर के बढ़ने के कारण लड़कियों के वक्ष स्थल की चर्बी बढ़ने लगती है | इसी कारण
स्तनों में उभार आने लगता है और वे बड़े लगने लगते है |
त्वचा
तैलीय होने के कारण :
यौवनारंभ
होने के कारण लड़कियों की त्वचा तैलीय होने लगती है जिसकी वजह से उनके चेहरे पर
मुंहासे व अन्य समस्याएँ होने लगती है | सामान्य रूप से सभी की तैलीय ग्रंथियां त्वचा
को चिकनापन प्रदान करती है जिसके कारण त्वचा के अन्दर से पुराने अणु बाहर निकलकर
त्वचा सुन्दर हो जाती है | लेकिन यौवनारंभ होने पर इन ग्रंथियों से अधिक तेल
निकलने लगता है जो चेहरे पर बने छोटे छिद्रों को बंद कर देता है | इन छिद्रों के
बंद होने से त्वचा पर गंदगी जमने लगती है और चेहरे पर कील मुंहासे आदि समस्याएँ
होने लगती है|
प्रजनन
अंगों में बदलाव :
लड़कियों
में जवानी आने से उनके शरीर के जनन अंगों में बदलाव आने लगता है | शरीर में नए
हारमोंस निकलने के कारण ऐसा होने लगता है | इस तरह के बदलाव होने पर लड़कियों की
योनी की गहराई बढ़ने लगती है | कभी कभार उनके अंडरवियर में गीलापन महसूस होने लगता
है | योनी से स्त्राव होने के कारण ऐसा होता है इसलिए यह कोई चिंता की बात नहीं
होती है | यौवनारंभ के बाद लड़कियों के गर्भाशय में गहराई होने लगती है तथा अंडकोष
भी बड़ा होने लगता है और उसमे अंडे बनने भी शुरू हो जाते है |
अण्डोत्सर्ग
:
यौवनारंभ
होने के बाद अंडकोष से अंडा निकलने लगता है जिसे अण्डोत्सर्ग कहा जाता है | लड़कियों
में पीरियड्स के समय लगभग 14 वे दिन ऐसा होता है | इसके बाद फलैपियन ट्यूब के
दवारा यह अंडा गर्भाशय तक लगभग चार या पांच दिन में पहुँचता है | फलैपियन ट्यूब को
अण्डवाही नली के नाम से भी जाना जाता है तथा इसकी लम्बाई पांच इंच के आस पास होती
है | संकरे आकार की होने के कारण इसमें से अंडा गर्भाशय तक पहुँचने में चार या
पांच दिन लग जाते है |
ऊपर
दी गयी बातों से लड़कियों में जवानी आने के लक्षणों का पता किया जा सकता है | अक्सर
इस तरह की बातें पेरेंट्स के लिये बहुत फायदेमंद रहती है क्योंकि इन बातों से
उन्हें अपनी लड़की के शरीर में हुए बदलावों का अंदाजा लगाते हुए उसके लिए पीरियड्स
के दिनों में होने वाली समस्या के लिए आवश्यक उपाय करने में मदद मिलती है |
No comments:
Post a Comment