गधे आम नहीं खाते
एक दिन अकबर के चतुर रत्न
बीरबल नगर में घुमने के लिए निकले | बादशाह अकबर इस बात को अच्छी तरह जानते थे की
आम का फल बीरबल को बहुत पसंद है | एक स्थान पर उन्होंने आम के छिलकों और गुठली का
ढेर देखा – और साथ ही यह भी देखा की एक गधा चरता–चरता वहां से गुजरा – उस ढेर को
सूघां और बिना खाए ही आगे चला गया |
बादशाह को परिहास सुझा –बादशाह ने बीरबल से कहा –‘’देखो बीरबल , गधे आम नहीं खाते
|’’
बीरबल बोले –‘’ सच कहा आपने बादशाह , गधे ही आम नहीं खाते |’’
बीरबल का जवाब सुनकर बादशाह
नाराज हो उठे |
लकीर छोटी हुई
एक दिन बादशाह ने बीरबल के
सामने पेंसिल से एक लकीर खींच दी और कहा – ‘’ तुम कोई ऐसा तरीका अपनाओ , जिससे यह
लकीर न बढाई जाए और न घटाई जाए , लेकिन छोटी हो जाए |’’
बीरबल ने अपनी चतुराई से उस
लकीर के नीचे पेंसिल से एक और बड़ी लकीर खींच दी और बोले - ‘’ आलमपनाह ’’ मैने आपकी लकीर को छोटा कर
दिया है |
“काली” ही “नियामत” है
एक दिन बादशाह अकबर बीरबल के
साथ भ्रमण के लिए निकले | रास्ते में अकबर ने एक बहुत ही कमजोर और मरियल सा कुत्ता
देखा , जो कई दिनों से सुखी और काली हो चुकी रोटी को खा रह था |बादशाह को परिहास
करने की सोची , और बीरबल से बोले –“देखो बीरबल ,बादशाह काली को खा रहा है” |
बीरबल को पता चल गया था की
बादशाह उसके साथ परिहास कर रहे है – बादशाह अकबर इस बात को अच्छी तरह जानते थे की
बीरबल की माता का नाम काली था |
बीरबल ने हँसते हुए कहा –‘’ जी आलमपनाह , आपने बिल्कुल सही कहा , उसे यह ‘नियामत ‘
समझ कर खा रह है |’’
बीरबल का जवाब सुनकर बादशाह
भडक उठे , बोले – ‘’बीरबल तुमने जान – बुझकर मेरी माँ
का नाम लिया है तुम भलीभांति जानते हो कि मेरी माँ का नाम नियामत है” |
बीरबल ने कहा –हुजुर, और आप भी तो यह बात जानते है कि “मेरी माँ का नाम
काली है ‘’
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